छोटी ज्ञान दायक कहानी: माफ करना सीखो
राजा और मंत्री की कहानी
माफ करना हर किसी के बस की बात नही है
एक राजा जिसका बहुत बडा राज्य था। कोई कमी नही थी जो भी हुक्म करते वही हो जाता था। लेकिन राजा मे एक आदत थी कि वह जो भी कोई थोडी सी गलती करता उसे तुरंत दस बडे खुंखार कुत्तों के सामने डालकर उसे कुत्तों से नुचवाता। राजा बडे गुस्से वाला था।
राजा की इस आदत से सभी परेशान थे। राजा का मंत्री भी राजा की इस आदत की आलोचना करता था। एक दिन उसी मंत्री से कोई गलती हो गयी राजा को गलती का पता चला तो राजा ने तुरंत हुक्म दिया कि जाओ मंत्री को कुत्तों के सामने ले जाओ।
मंत्री ने राजा से गलती मानी माफी मांगी लेकिन राजा ने कुछ नही सुना। और कहा कि जो कह दिया सो कह दिया। और सिपाहियों से कहा ले जाओ कुत्तों के बाडे मे। मंत्री ने कहा ठीक है राजा जी लेकिन मेरी आखिरी इच्छा तो मान लो। राजा ने कहा ठीक है बताओ अपनी आखिरी इच्छा। मंत्री ने कहा मुझे दस दिन की महौलत दे दीजिए बस। राजा ने कहा ठीक है दस दिन की महौलत दे देते हैं।
लेकिन ग्यारहवें दिन सजा जरूर मिलेगी। मंत्री दस दिन तक राजा के पास नही आया। और ग्यारहवें दिन राजा के सामने पेश हो गया। राजा ने मंत्री को देखा और सिपाहियों से कहा जो सजा रखी थी मंत्री के लिए उसे पूरी की जाए। सिपाही मंत्री को कुत्तों के बाडे मे लेकर गये कुत्तों को भी खोल दिया गया। लेकिन कुत्ते मंत्री पर प्रहार करने के बजाय मंत्री से प्यार से पेश आ रहे थे।
यह देखकर राजा चौक गया कि जिन कुत्तों को प्रहार करने के लिए ट्रेन किया गया है वे इतने प्यार से पेश आ रहे हैं। राजा ने मंत्री से कहा कि ये चमत्कार कैसे हो गया इन कुत्तों को क्या हो गया है। मंत्री ने जवाब दिया कि इन दस दिनों में मैंने इन कुत्तों की बहुत सेवा की है इन्हें खाना खिलाया, नहलाया अब इन कुत्ते जान चुके हैं कि मैं इनके लिए कुछ अच्छा करता हूँ ना कि बुरा। ये मुझपर प्रहार नही करेंगे। मैने आपकी इतने दिनो से सेवा की है फिर भी आप मेरी एक गलती को माफ नही कर सके। आपसे ज्यादा अच्छे तो ये कुत्ते हैं जो अच्छा और बुरे को पहचानते है। राजा यह सब देखकर बडा सर्मिन्दा हुआ।
ये कहानी हमें सिखाती हैं कि हमे हमेशा सोच समझ कर फैसले लेने चाहिए। किसी की एक गलती को लेकर ही उसे जिन्दगी भर के लिए सजा नही देनी चाहिये बल्कि उसे माफ करने की हिम्मत रखनी चाहिए।
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धन्यवाद!!
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