पैसे नहीं मुस्कान बाटियें | नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ
नैतिक शिक्षाप्रद लघु कहानी:
पैसे नहीं मुस्कान बाटियें
यह कहानी हैं एक लडके की जिसका नाम मदन था। एक दिन मदन व उसके दोस्त एक रेस्टोरेंट में लस्सी पीने के लिए गये। रेस्टोरेंट मे जाकर लस्सी का आर्डर दिया और कुर्सी पर बैठ गये।
कुर्सी पर बैठे ही थे इतने मे वहा एक बुजुर्ग महिला जिसके हाथ मे एक डंडा था कमर झुकी हुई आखे भी मीची हुई वहां आई। और अपना हाथ फैलाते हुए बोली भगवान के नाम पर कुछ दे दो। मदन ने अपने मन मे सोचा कि मैने कभी किसी भिखारी को कभी पैसे नहीं दिये लेकिन उस दिन पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा था कि इस बुजुर्ग औरत को कुछ पैसे देकर मदद की जाये। और अपने पर्स मे से कुछ सिक्के निकालने लगी।
फिर ना जाने क्यों ऐसा लगा कि ये तो कम हैं कुछ और ज्यादा मदद करता हूँ। और बोला लस्सी लोगी मां जी। बुजुर्ग महिला के चहरे पर मां जी सुनते ही एक छोटी सी मुस्कान आ गयीं। और सहमे से होते हुए हां मे नाड हिला दी। मदन ने एक और लस्सी के गिलास के बोल दिया।
अब मदन यह भी सोच रहा था कि मेरे दोस्त मेरे बारे सोच रहे होगे कि कैसा पागल है जहा एक दो रूपये मे काम चल जाता वहां तीस रूपये की लस्सी की क्या जरूरत है। अब बुजुर्ग औरत एक कोने मे बैठ गयी इतने मे अन्दर से लस्सी के चार गिलास आ गये। एक बुजुर्ग महिला के लिए तीन मदन व उसके दोस्तों के लिए। अब मदन बुजुर्ग महिला को नीचे बैठे देखकर परेशान था वो कुर्सी जिस पर मदन बैठा था वो उसे काटे जा रही थी और लग रहा था कि वो जो बुजुर्ग महिला है जो मुझसे उम्र मे भी बहुत अधिक है उसे भी कुर्सी पर बिठाना चाहिए।
और साथ ही उसके दोस्तो का भी ख्याल कि कही वह ये ना कह दे कि लस्सी तक तो ठीक था पर इस बुजुर्ग व गंदी औरत को हमारे पास कुर्सी पर बैठाना कही दोस्त कुछ कहकर चले ना जाये। फिर मदन के मन मे विचार आया कि बुजुर्ग औरत को अपने पास कुर्सी पर नही बैठा सकता लेकिन मैं तो वहा जाकर महिला के साथ नीचे तो बैठ सकता हूँ।
और बुजुर्ग औरत के पास जाकर बैठने को ही था इतने मे रेस्टोरेंट के मैनेजर की आवाज आई रूकिए सर मै आप दोनो के लिए कुर्सी लेकर आता हूँ। क्योंकि मेरे यहा ग्राहक तो बहुत आते हैं लेकिन आप जैसे इंसान कभी कभार आते है।
यह छोटी सी कहानी हमे यह सिखाती हैं कि हमें किसी को पैसे चाहे ना दे लेकिन अगर आप कर सकते है तो किसी भूखे को खाना जरूर खिलाना चाहिए।
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धन्यवाद!!
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