गुरु और शिष्य की प्रेरक कहानी: शिष्य का घमंड
गुरु और शिष्य की प्रेरक कहानी:
गुरु हमेशा गुरु होता है आप गुरु से बडे कभी नहीं हो सकते जो अपने गुरु का अपमान करता है वो कभी भी अपने जीवन में सफल नहीं हो सकता। इसलिए गुरु का सम्मान करें। इस प्रेरक कहानीं मे जाने कैसे शिष्य का घमंड टूटा जो अपने आप को अपने गुरु से ज्यादा ज्ञानी और बलवान समझ रहा था।
एक बार की बात है। एक राजा के यहां एक सेनापति था जो बहुत बूढ़ा हो चुका था। सेनापति ने राजा से कहा की अब मेरी उम्र बहुत हो चुकी है। मैं किसी और को अपने तजुर्बे से किसी अन्य को तलवारबाजी सिखाना चाहता हूँ। जिस किसी को भी इसका अभ्यास करना हो सीखना हो तो उसे मैं यह गुर सिखा सकता हूँ। राजा ने अपने सभी दरबारियों को बुलाया और यह बात उनके सामने रखी।
जिसमें से अनेकों नौजवानों ने सेनापति को अपना गुरु समझते हुए उनसे तलवारबाजी सीखनी चाही। कुछ दिन के बाद इन नौजवानों में से एक के अंदर घमंड उमड़ आया। वह अपने आप को सेनापति से भी ज्यादा बुद्धिमान वह अधिक बलवान समझने लगा। वह समझने लगा कि उसे तो सब कुछ आता है वह तो सेनापति को भी पीछे छोड़ सकता है। तो उसने राजा के पास जाकर राजा से कहा कि मुझे आप के सेनापति से भी ज्यादा तलवारबाजी आती है।
तो आप मुझे ही अपना सेनापति चुन ले। और घमंड में आते हुए कहा कि अगर आपको कोई शक है। तो आप अपने सेनापति से मेरा एक मुकाबला करवा लीजिए।आपको यकीन हो जायेगा कि कौन ज्यादा तलवारबाजी जानता है। राजा ने थोड़ा सोचा और मुकाबले के लिए हां कर दी। राजा ने यह बात अपने सेनापति को बताई की एक नौजवान आप से मुकाबला करना चाहता है। जो आपका ही एक चेला है। सेनापति को कुछ समझ नहीं आया थोड़ी देर बाद सेनापति ने मुकाबले के लिए हां कर दी।
शिष्य का घमंड टूटा:
दिन और समय तय हो गया। अब नौजवान घबरा गया वह सोचने लगा कि इतना बुड्ढा सेनापति भी मुझ से मुकाबला करने के लिए तैयार हो गया। अब मैं क्या करूं वह सेनापति की हर कार्य को ध्यान से देखने लगा। उसको लगा कि गुरु ने कोई जरूरी जानकारी मुझे नहीं बताई हैं। अगले दिन गुरु लोहार के पास गया और बोला कि एक 15 फुट लम्बी मियान बनाए। वह नोजवान भी इस बात को देख रहा था। उसनें सोचा कि सेनापति लम्बी तलवार से सहारे मुझसे जीतना चाहता है। फिर वह भी लोहार के पास गया और बोला कि एक 16 फुट लम्बी तलवार और मियान बनाए। वह सोचने लगा कि अब तो मेरी जीत पक्की हो चुकी है। मुकाबले का दिन आ गया। मुकाबला के सुरूआत मे ही गुरु ने अपनी तलवार निकाल कर उसके गले पर रख दी और चेला लम्बी तलवार होने के कारण तलवार को मियान से निकाल ही नहीं पाया ओर हार गया।
तब उसे पता चला कि गुरु ने तो केवल मियान ही लम्बी बनवाई थी लेकिन उसमे तलवार तो सामान्य ही है। चेले को अपनी गलती का एहसास हो चुका था। कि उसने बहुत बडी भुल कर दी थी। उसने अपने आप को अपने गुरु से भी ज्यादा महान मान लिया। वह गुरु से माफी मांगने लगा । और गुरु तो आखिर गुरु ही होता हैं उसे माफ कर दिया।
दोस्तों इस छोटी सी कहानी से हमे यह सीखने को मिलता है कि कभी भी अपने गुरु का या अपनो से बडों का असम्मान नही करना चाहिए। अपने आप को यह नहीं समझना चाहिए कि वह सबकुछ सिख चुका है। क्योंकि इन्सान कितना भी बडा हो जाये कितना भी सिख ले लेकिन वह सबकुछ कभी नहीं सीख पाता। ऐसा इन्सान जरुर कोई ओर होगा जो उससे भी ज्यादा जानता है। तो हमेशा अपने गुरु का या अपनो से बड़ों का आदर करना चाहिए सम्मान करना चाहिए। तो केसी लगी आपको यह छोटी सी कहानी हमें कमेंट करे और कहानी को शेयर जरूर करें।
धन्यवाद!
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